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यूपी पीसीएस सिलेबस – UPPCS Syllabus in Hindi

सभी अभ्यर्थी यूपी पीसीएस सिलेबस – UPPCS Syllabus in Hindi यहाँ से पढ़ या इसका पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। यूपी पीसीएस सिलेबस को 6 भागों में सामान्य अध्ययन के रूप में विभाजित किया गया है।

यह पाठ्यक्रम उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट से लिया गया है। अगर आप यूपीपीएससी की परीक्षा कि तैयारी करते हैं या करना चाहते हैं तो यह सिलेबस आपके लिये अति आवश्यक है।

UPPCS Syllabus in Hindi

विज्ञापन संख्या – ए-1 / ई-1/2023, दिनांक द्वारा जारी सम्मिलित राज्य / प्रवर अधीनस्थ सेवा (पी०सी०एस० ) परीक्षा- 2023 के परिशिष्ट–6 में उल्लिखित सामान्य अध्ययन-I से VI तक के प्रश्नपत्रों के विस्तृत पाठ्यक्रम हिन्दी में निम्नानुसार हैं : 

सामान्य अध्ययन – I

1. भारतीय संस्कृति के इतिहास में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला-रूप, साहित्य एवं वास्तुकला के महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे। 

2. आधुनिक भारतीय इतिहास (1757 ई0 से 1947 ई0 तक) – महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व एवं समस्याएं इत्यादि । 3. स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति / उनका योगदान । 

4. स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन (1965 ई0 तक) । 

5. विश्व के इतिहास में 18 वीं सदी से बीसवीं सदी के मध्य तक की घटनाएं जैसे फ्रांसीसी क्रान्ति 1789, औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध राष्ट्रीय सीमाओं का पुनः सीमांकन उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीतिक दर्शन शास्त्र जैसे साम्यवाद, पूँजीवाद, समाजवाद, नाजीवाद, फासीवाद इत्यादि के रूप और समाज पर उनके प्रभाव इत्यादि शामिल होंगें। 

6. भारतीय समाज और संस्कृति की मुख्य विशेषताएं। 

7. महिला – समाज और महिला संगठनों की भूमिका, जनसंख्या तथा सम्बद्ध समस्याएं, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरणउनकी समस्याएं और समाधान। 

8. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का अभिप्राय और उनका भारतीय समाज के अर्थ व्यवस्था, राज्य व्यवस्था और समाज संरचना पर प्रभाव । 

9. सामाजिक सशक्तीकरण, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता। 

10. विश्व के प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण – जल, मिट्टियॉ एवं वन, दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया में (भारत के विशेष संदर्भ में) । 

11. भौतिक भूगोल की प्रमुख विशिष्टताएं- भूकंपसुनामी, ज्वालामुखी क्रियाएँ, चक्रवात, समुद्री जल धाराएं, पवन एवं हिम सरिताएं। 

12. भारत के सामुद्रिक संसाधन एवं उनकी संभाव्यता । 

13. मानव प्रवास – विश्व की शरणार्थी समस्या – भारत – उपमहाद्वीप के संदर्भ में । 

14. सीमान्त तथा सीमांए- भारत उप- महाद्वीप के संदर्भ में । 

15. जनसंख्या एवं अधिवास- प्रकार एवं प्रतिरूप, नगरीकरण, स्मार्ट नगर एवं स्मार्ट ग्राम ।

सामान्य अध्ययन – II

1. भारतीय संविधान– ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएंसंशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान तथा आधारभूत संरचना । संविधान के आधारभूत प्रावधानों के विकास में उच्चतम न्यायालय की भूमिका । 

2. संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियां, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियां । 

3. केन्द्र – राज्य वित्तीय सम्बन्धों में वित्त आयोग की भूमिका । 

4. शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थाएं । वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रो का उदय एवं उनका प्रयोग । 

5. भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य प्रमुख लोकतांत्रिक देशों के साथ तुलना । 

6. संसद और राज्य विधायिका – संरचना, कार्य, कार्य संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार तथा संबंधित विषय | 

7. कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक / अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका जनहित याचिका (पी0आई0एल0)। 

8. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं। 

9. विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, शक्तियॉ, कार्य तथा उनके उत्तरदायित्व । | 

10. सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय, नीति आयोग समेत- उनकी विशेषताएं एवं कार्यभाग । 11. सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के मुद्दे एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आई०सी०टी०) । 

12. विकास प्रक्रियाएं – गैर सरकारी संगठनों की भूमिका, स्वयं सहायता समूह, विभिन्न समूह एवं संघ, अभिदाता, सहायतार्थ संस्थाएं, संस्थागत एवं अन्य अंशधारक 

13. केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का कार्य- निष्पादन, इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय 

14. स्वास्थ्य, शिक्षामानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र / सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबधित विषय । 15. गरीबी और भूख से संबंधित विषय एवं राजनैतिक व्यवस्था के लिए इनका निहितार्थ । 

16. शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं और संभावनाएंनागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत व अन्य उपाय । 

17. लोकतंत्र में उभरती हुई प्रवृत्तियों के संदर्भ में सिविल सेवाओं की भूमिका 

18. भारत एवं अपने पड़ोसी देशों से उसके संबंध। 

19. द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और / अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार । 

20. भारत के हितों एवं अप्रवासी भारतीयों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव । 21. महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश तथा उनका कार्य भाग । 

22. क्षेत्रीयराष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के समसामयिक घटनाक्रम |

सामान्य अध्ययन- ।।। 

1. भारत में आर्थिक नियोजन, उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ, नीति (एन0आई0टी0आई0) आयोग की भूमिका, सतत विकास के लक्ष्य (एस०डी०जी०) ।

2. गरीबी के मुद्दे, बेरोजगारी, सामाजिक न्याय एवं समावेशी विकास । 

3. सरकार के बजट के अवयव तथा वित्तीय प्रणाली । 

4. प्रमुख फसलें, विभिन्न प्रकार की सिंचाई विधि एवं सिंचाई प्रणाली, कृषि उत्पाद का भंडारण, ढुलाई एवं विपणन, किसानों की सहायता हेतु ई-तकनीकी 

5. अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष कृषि अनुदान तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़े मुद्दे, सार्वजनिक वितरण | प्रणाली- उद्देश्य, क्रियान्वयनपरिसीमाएं, सुदृढीकरण खाद्य सुरक्षा एवं बफर भण्डार, कृषि में तकनीकी अभियान।

 6. भारत में खाद्य प्रसंस्करण व संबंधित उद्योग कार्यक्षेत्र एवं महत्व, स्थान निर्धारण, उर्ध्व व अधोप्रवाह आवश्यकताएं, आपूर्ति श्रृखंला प्रबंधन । 

7. भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् भूमि सुधार। 

8. भारत में वैश्वीकरण तथा उदारीकरण के प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा इनके औद्योगिक विकास | पर प्रभाव । 

9. आधारभूत संरचनाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन तथा रेलवे आदि । 

10. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा में भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति का दैनिक जीवन में अनुप्रयोग। 

11. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण। नवीन प्रौद्योगिकियों का विकासप्रौद्योगिकी का हस्तान्तरण, द्विअनुप्रयोगी एवं तकनीकि उपयोगी प्रौद्योगिकियाँ। 

12. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, कंम्प्यूटर, ऊर्जा स्त्रोतोंनैनो प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में जागरूकता । बौद्धिक सम्पदा अधिकारों एवं डिजिटल अधिकारों से सम्बन्धित मुद्दे । 

13. पर्यावरणीय सुरक्षा एवं पारिस्थितिकी तंत्र, वन्य जीवन संरक्षण, जैव विविधता, पर्यावरणीय प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय संघात आंकलन 

14. आपदाः गैर–पारम्परिक सुरक्षा एवं संरक्षा की चुनौती के रूप में, आपदा शमन एवं प्रबन्धन। 

15. अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ : आणुविक प्रसार के मुद्दे, अतिवाद के कारण तथा प्रसार, संचार तन्त्र, मीडिया की भूमिका तथा सामाजिक नेटवर्किंग साइबर सुरक्षा के आधार, मनी लाउन्डरिंग तथा मानव तस्करी । 

16. भारत की आन्तरिक सुरक्षा की चुनौतियां : आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बगावत तथा संगठित अपराध। 

17. सुरक्षा बलों की भूमिका, प्रकार तथा शासनाधिकार, भारत का उच्च रक्षा संगठन । 

18. कृषि, बागवानी, वानिकी एवं पशुपालन के मुद्दे ।

सामान्य अध्ययन – IV 

1. नीतिशास्त्र तथा मानवीय अन्तः सम्बन्ध, मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सारतत्व, इसके निर्धारक और परिणाम : नीतिशास्त्र के आयाम, निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र मानवीय मूल्य-महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा, मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका । 

2. अभिवृत्तिः अंर्तवस्तु (कंटेन्ट), संरचनाकार्य, विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध, नैतिक और राजनीतिक अभिरूचि, सामाजिक प्रभाव और सहमति पैदा करना। 

3. सिविल सेवा के लिए अभिरूचि तथा बुनियादी मूल्यसत्यनिष्ठा, निष्पक्षता तथा गैर – तरफदारी, वस्तुनिष्ठता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा करूणा। 

4. संवेगात्मक बुद्धिः अवधारणाएं तथा आयाम, प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनकी उपयोगिता और प्रयोग । 

5. भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों का योगदान । 

6. लोक प्रशासनों में लोक / सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्र : स्थिति तथा समस्याएं, सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक सरोकार तथा दुविधाएं, नैतिक मार्गदर्शन के स्त्रोतों के रूप में विधि, नियमनियमन तथा अंतर्रात्मा, जवाबदेही तथा नैतिक शासन व्यवस्था में नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरणअंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था ( फंडिग ) में नैतिक मुद्दे, कारपोरेट शासन व्यवस्था। 

7. शासन व्यवस्था में ईमानदारी : लोक सेवा की अवधारणा, शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शितासूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहितानागरिक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक-निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां। 

8. उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडी)।

सामान्य अध्ययन – V 

1. उ0प्र0 का इतिहास, सभ्यता, संस्कृति एवं प्राचीन नगर । 

2. उ0प्र0 की वास्तुकलाउसकी महत्ता एवं रख-रखाव, संग्रहालय, अभिलेखागार एवं पुरातत्व । 

3. भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में 1857 से पहले एवं बाद में उ० प्र० का योगदान । 

4. उ0प्र0 के सुविख्यात स्वतन्त्रता सेनानी एवं व्यक्तित्व 

5. उ0प्र0 में ग्रामीण, शहरी एवं जनजातीय मुद्देः सामाजिक संरचना, त्योहार, मेले, संगीतलोकनृत्य, भाषा एवं साहित्य / बोली, सामाजिक प्रथाएं एवं पर्यटन | 

6. उ0प्र0 की राजव्यवस्था – शासन प्रणालीराज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, विधान सभा एवं विधान परिषद, केन्द्र राज्य सम्बन्ध | 

7. उ०प्र० में लोक सेवाएँलोक सेवा आयोग, लेखा परीक्षा, महान्यायवादी, उच्च न्यायालय एवं उसका अधिकार क्षेत्र ।

8. उ0प्र0 – विशेष राज्य चयन मानदण्डराजभाषा, संचित निधि एवं आकस्मिक निधि, राजनीतिक दल एवं राज्य निर्वाचन आयोग 

9. उ0प्र0 में स्थानीय स्वशासनः शहरी एवं पंचायती राज, लोकनीति, अधिकार सम्बन्धी मुद्दे 

10. उ०प्र० – सुशासन, भ्रष्टाचार निवारणलोकायुक्त, सिटीजन चार्टर, ई-गवर्नेससूचना का अधिकार, समाधान योजना ।

11. उ0प्र0 में भूमि सुधार एवं इसका प्रभाव । 

12. उ0प्र0 में सुरक्षा से जुड़े मुद्दे : (i) उग्रवाद के प्रसार एवं विकास के बीच सम्बन्ध । (ii) बाह्य, राज्य एवं अन्तर राज्यीय सक्रियकों से आन्तरिक सुरक्षा के लिये चुनौतियाँ पैदा करने में संचार नेटवर्कों, मीडिया एवं सोशल नेटवर्किंग साइट्स की भूमिका । (iii) साइबर सुरक्षा के बुनियादी नियम, कालेधन को वैध बनाना एवं इसकी रोकथाम (iv) विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियाँ और उनके शासनादेश / अधिकार-पत्र। (v) सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबन्धन, संगठित अपराधों का आंतकवाद से संबंध 

13. उ0प्र0 में कानून व्यवस्था एवं नागरिक अधिकार सुरक्षा 

14. उ0प्र0 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सीय मुद्दे | 

15. उ०प्र० में शिक्षा प्रणाली । 

16. भारत के विकास में उ०प्र० की भूमिका 

17. उ0प्र0 की समसामयिक घटनाएं । 

18. जल शक्ति मिशन एवं अन्य केन्द्रीय योजनायें एवं उनका क्रियान्वयन। 

19. उ0प्र0 में गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) : मुद्दे, योगदान एवं प्रभाव । 

20. उ0प्र0 में पर्यटनः मुद्दे एवं सम्भावनायें ।

सामान्य अध्ययन VI 

1. उ0प्र0 का आर्थिक परिदृश्य : अर्थव्यवस्था एवं राज्य बजट की मुख्य विशेषताएं, बुनियादी ढाँचा एवं भौतिक संसाधनों का महत्त्व | 

2. उ०प्र० का व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग । 

3. उ0प्र0 सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाएँ, परियोजनाएँ एवं नियोजित विकास, मानव संसाधन एवं कौशल विकास । 

4. उ0प्र0 में निवेशः मुद्दे एवं प्रभाव । 

5. उ0प्र0 की लोक वित्त एवं राजकोषीय नीति, कर एवं आर्थिक सुधार, एक जिला एक उत्पाद नीति ।

6. उ0प्र0 में नवीकरणीय ऊर्जा एवं गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की योजना एवं प्रबन्धन |

7. उ0प्र0 की जनांकिकी, जनसंख्या एवं जनगणना । 

8. उ0प्र0 में कृषि का व्यावसायीकरण एवं कृषि फसलों का उत्पादन 

9. उ०प्र० की नवीन वानिकी नीति । 

10. उ0प्र0 की कृषि एवं सामाजिक वानिकी । 

11. उ0प्र0 में कृषि विविधता, कृषि की समस्याएँ एवं उनका समाधान | 

12. उoप्रo के विभिन्न क्षेत्रों में विकासीय सूचकांक 

13. उ0प्र0 का भूगोल- भौगोलिक स्थिति, उच्चावच एवं संरचना, जलवायु, सिंचाई, खनिज, अपवाह प्रणाली एवं वनस्पति । 

14. उ0प्र0 में राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभ्यारण्य । 

15. उ०प्र० में परिवहन तंत्र । 

16. उ0प्र0 में औद्योगिक विकास, शक्ति संसाधन एवं अधोसंरचना । 

17. उ0प्र0 में प्रदूषण एवं पर्यावरण के मुद्दे, प्रदूषण नियंत्रण परिषद एवं इनके कार्य 

18. उ0प्र0 के प्राकृतिक संसाधन मृदा, जल, वायु, वन, घास- मैदान, आद्रभूमि 

19. उ0प्र0 के जलवायु परिवर्तन एवं मौसम पूर्वानुमान से सम्बन्धित मुद्दे । 

20. उ0प्र0 के सन्दर्भ में अधिवास पारिस्थितिकी तंत्र – संरचना एवं कार्य समायोजन, जीव-जन्तु एवं वनस्पतियां । 

21. उoप्रo में विज्ञान एवं तकनीक के मुद्देप्रसार एवं प्रयत्न । 

22. उ0प्र0 में मत्स्य, अंगूर, रेशम, फूल, बागवानी एवं पौध उत्पादन तथा उ०प्र० के विकास में इनका प्रभाव । 

23. उ०प्र० के विकास में सार्वजनिक एवं निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करना ।

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