Balak Shabd Roop in Sanskrit – बालक शब्द रूप हम यहाँ पढ़ेंगे और जानेंगे संस्कृत में बालक के शब्द रूप कौन से हैं, और इनका क्या प्रयोग है। जो विद्यार्थी संस्कृत की पढ़ाई करते हैं उनके लिये ये Balak Shabd Roop भी जानना आवश्यक है। संस्कृत में वचन और विभक्ति मिलकर शब्द रूप बनता है।
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | बालकः | बालकौ | बालकाः |
द्वितीया | बालकम् | बालकौ | बालकान् |
तृतीया | बालकेन् | बालकेभ्याम् | बालकै: |
चतुर्थी | बालकाय | बालकेभ्याम् | बालकेभ्य: |
पंचमी | बालकात् | बालकेभ्याम् | बालकेभ्य: |
षष्ठी | बालकस्य | बालकयो: | बालकानाम् |
सप्तमी | बालके | बालकयो: | बालकेषु |
संबोधन | हे बालक! | हे बालकौ! | हे बालका! |
बालक शब्द कैसे बनता है?
संस्कृत में बालक शब्द मूल ‘बाल’ शब्द से कन् प्रत्यय लगाकर बनता है। जैसे – बाल + क = बालक: , बालक शब्द के रुप अकारान्त हैं जो पुलिंग शब्द है। पुल्लिंग में बालक शब्द में सु आदि प्रत्यय लगाकर – बालक:, बालको आदि रुपों को बनाया जाता है।
Shabd Roop Kya Hai? – शब्दरूप क्या है?
वाक्य की सबसे छोटी इकाई को शब्द कहते हैं। शब्दों के अनेक रूप (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि) होते हैं। संस्कृत भाषा में प्रयोग करने के लिए इन शब्दों को ‘पद’ बनाया जाता है। संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों को पद बनाने हेतु इनमें प्रथमा, द्वितीया आदि विभक्तियाँ लगाई जाती हैं। इन शब्द रूपों (पदों) का प्रयोग (पुल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग तथा एकवचन द्विवचन और बहुवचन में भिन्न-भिन्न रूपों में) होता है।
इन्हें सामान्यतया शब्द रूप कहा जाता है। संज्ञा आदि शब्दों में जुड़ने वाली विभक्तियाँ सात होती हैं। इन विभक्तियों के तीनों वचनों (एक, द्वि, बहु) में बनने वाले रूपों के लिए जिन विभक्ति-प्रत्ययों की पाणिनि द्वारा कल्पना की गई है, वे ‘सुप्’ कहलाते हैं। इनका परिचय इस प्रकार है।
ये प्रत्यय शब्दों के साथ जुड़कर अनेक रूप बनाते हैं। इन विभक्तियों के अतिरिक्त सम्बोधन के लिए भी प्रथमा विभक्ति के ही प्रत्ययों का प्रयोग किया जाता है, किन्तु सम्बोधन एकवचन में प्रथमा एकवचन से रूपों में अन्तर होता है। रूप निर्देश से रूप भेद को स्पष्ट किया गया है—
शब्दों के विभिन्न रूपों में भेद होने के कारण ‘संज्ञा’ आदि शब्दों को तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है—
- संज्ञा शब्द
- सर्वनाम शब्द
- संख्यावाचक शब्द
संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘स्वर’ अथवा व्यञ्जन होने के कारण इन्हें पुन : दो वर्गों में रखा जा सकता है।
स्वरान्त (अजन्त) अर्थात् जिन शब्दों के अन्त में अ, आ, इ, ई आदि स्वर होते हैं, उन्हें स्वरान्त कहा जाता है। इनका वर्गीकरण इस प्रकार है अकारान्त, आकारान्त, इकारान्त, ईकारान्त, उकारान्त, ऊकारान्त, ऋकारान्त, एकारान्त, ओकारान्त तथा औकारान्त आदि। यथा— बालक, गुरु, कवि, नदी, लता, पितृ, गो आदि।
व्यञ्जनान्त (हलन्त) जिन शब्दों के अन्त में क्, च्, ट्, त् आदि व्यञ्जन होते हैं, उन्हें व्यञ्जनान्त कहा जाता है। ङ्, ञ, ण, य् इन व्यञ्जनों को छोड़कर प्राय : सभी व्यञ्जनों से अन्त होने वाले शब्द पाए जाते हैं। इनमें भी च्, ज्, त्, द्, ध्, न्, श्, ष्, स् और ह् व्यञ्जनों से अन्त होने वाले शब्द अधिकतर प्रयुक्त होते हैं। अत : इनकी गणना चकारान्त, जकारान्त, तकारान्त, दकारान्त, धकारान्त, नकारान्त, पकारान्त, भकारान्त, रकारान्त, वकारान्त, शकारान्त, षकारान्त, सकारान्त, हकारान्त आदि रूपों में की जाती है, यथा— जलमुच्, भूभृत्, श्रीमत्, जगत्, राजन्, दिश्, पयस् आदि।
यहाँ अकारान्त पुँल्लिङ्ग ‘बालक’ के शब्द रूप दिये गये हैं।

Balak Shabd Roop in Sanskrit with Hindi Meaning – हिन्दी अर्थ के साथ बालक के शब्द रूप
यहाँ आप सीख सकते हैं कि किस प्रकार वचन और विभक्ति के आधार पर बालक के शब्दरूप में परिवर्तन हो रहा है।
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | बालकः (बालक, बालक ने) | बालकौ (दो बालकों, दो बालकों ने) | बालकाः (अनेक बालकों, अनेक बालकों ने) |
द्वितीया | बालकम् (बालक को) | बालकौ (दो बालकों को) | बालकान् (अनेक बालकों को) |
तृतीया | बालकेन (बालक से, बालक के द्वारा) | बालकाभ्याम् (दो बालकों से, दो बालकों के द्वारा) | बालकैः (अनेक बालकों से, अनेक बालकों के द्वारा) |
चतुर्थी | बालकाय (बालक को, बालक के लिए) | बालकाभ्याम् (दो बालकों को, दो बालकों के लिए) | बालकेभ्यः (अनेक बालकों को, अनेक बालकों के लिए) |
पंचमी | बालकात्/बालकाद् (बालक से) | बालकाभ्याम् (दो बालकों से) | बालकेभ्यः (अनेक बालकों से) |
षष्ठी | बालकस्य (बालक का, बालक के, बालक की) | बालकयोः (दो बालकों का, दो बालकों के, दो बालकों की) | बालकानाम् (अनेक बालकों का, अनेक बालकों के, अनेक बालकों की) |
सप्तमी | बालके (बालक में, बालक पर) | बालकयोः (दो बालकों में, दो बालकों पर) | बालकेषु (अनेक बालकों में, अनेक बालकों पर) |
सम्बोधन | हे बालक! (हे बालक!) | हे बालकौ! (हे दो बालकों!) | हे बालकाः! (हे अनेक बालकों!) |
संस्कृत में बालक के कितने शब्द रूप होते हैं?
सभी विभक्ति और वचनों को मिलाकर संस्कृत में बालक के 21 शब्द रूप होते हैं। इन रूपों के आधार पर आप संस्कृत में वाक्य आसानी से बना सकते हैं।