NET JRF Anthropology Syllabus in Hindi – नेट जेआरएफ़ एंथ्रोपोलॉजी सिलेबस

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NET JRF Anthropology Syllabus in Hindi

इकाई- 1 

नृविज्ञान का इतिहास, विकास, लक्ष्य और विषय क्षेत्र, अन्य विज्ञानों के साथ संबंध, नृविज्ञान की विभिन्न शाखाएँ (भाषाई नृविज्ञान को सम्मिलित कर) और उनका पारस्परिक संबंध। 

शोध पद्धति और विधियाँ : ज्ञानमीमांसा, सत्ता मीमांसा और सैद्धांतिक दृष्टिकोणों की संकल्पनाएँ। शोध के प्रकार (गुणात्मक तथा मात्रात्मक), शोध अभिकल्प, प्राक्कल्पना । क्षेत्र कार्य तथा क्षेत्र कार्य परंपरा; नृवंशविज्ञान, प्रेक्षण, साक्षात्कार, केस अध्ययन, जीवन अध्ययन, फोकस ग्रुप, पी आर ए, आर आर ए, वंशावली-विधि, अनुसूचियाँ और प्रश्नावलियाँ, आधार-सिद्धांत, अन्वेषण और उत्खनन, जी आई एस। 

सांख्यिकी : परिवर्तों ( चर) की संकल्पना, नमूना-चयन, केन्द्रीय प्रवृत्ति और प्रकीर्णन के मापन, गैर-प्राचलिक द्विचर तथा प्राचलिक तथा बहुचर (रेखीय प्रतिक्रमण और तार्किक प्रतिक्रमण) सांख्यिकीय परीक्षण। 

विश्लेषण की प्रविधियाँ : अंतर्वस्तु विश्लेषण, प्रोक्ति विश्लेषण और आख्यान। 

 

इकाई- 2 

लामार्कवाद, नव-लामार्कवाद, डार्विनवाद, नव-डार्विनवाद, संश्लिष्ट सिद्धांत, अणुक क्रमविकास का तटस्थ सिद्धांत, वंशशासन तथा प्रविकास की संकल्पना, विरामित साम्यावस्था, चयन। 

प्राइमेट्स (नर-मानव) की प्रसरण संबंधी प्रवृत्तियाँ, प्राइमेट्स का वर्गीकरण तथा विलुप्त और विद्यमान प्रजातियों का वितरण। प्राइमेट्स के अभिलक्षण : आकृतिक (बाल), कंकालिक (कपालीय, उत्तर- कपालीय, दंत्य, मस्तिष्क) अंगचलन (चतुष्पदीयता, हस्त – झूलन और द्विपदीयता) तथा अंग- मुद्रा, प्राइमेट्स का सामाजिक व्यवहार। 

विद्यमान प्राइमेट्स 

वितरण, वर्गीकरण और अभिलक्षण। प्रोसिमिआई (टर्सियोइडिया, लोरिसोइडिया, लेम्युरोइडिया) । एंथ्रोपॉइडिया (सेबॉइडिया, सर्कोपीथीकॉइडिया, होमीनॉइडिया)। मानव, चिंपैंजी, गोरिल्ला, ओरंग उटैन तथा गिब्बन के आकृतिक और शारीरिक अभिलक्षण 

विलुप्त प्राइमेट्स के जीवाष्म आलीगोसीन : मीओसीन जीवाष्म पैरापिथकस; जाईगटोपिथिकस, एजिप्टोपिथिकस, ड्रायोपिथिकस, रेमापिथिकस, शिवापिथिकस। 

पूर्व मानवसम (होमिनिड) समूह : साहेलेंथ्रोपस चाडेनिस (टौमाई), औरोरिन ट्यूगनेसिस, आर्डीपिथिकस रेमिडस। 

प्रांरभिक मानवसम (होमिनिड) समूहः ऑस्ट्रेलोपिथिकस अफारेनासिस, ऑस्ट्रेलोपिथिकस रैमिडस, ऑस्ट्रेलोपिथिकस अफ्रीकन्स, ऑस्ट्रेलोपिथिकस (परांथरोपस) बोयसि, ऑस्ट्रेलोपिथिकस (परांथरोपस) रोबस्टस, आस्ट्रेलोपिथिकस बहरेलगजाली।

होमोनिड क्रमविकास 

होमो इरेक्टस के अभिलक्षण और वितरण सामान्य रूप में और अफ्रीका (तुर्काना बालक), एशिया (जावा मानव तथा पेकिंग मानव), यूरोप (डिमेनिशी) में प्राप्त और होमो फ्लोरे सेपियेंस (ड्वार्फ वेराइटी) जीवाष्म साक्ष्य के विशेष संदर्भ में। 

आद्य सेपियेंस के अभिलक्षण – यूरोप (होमो हाइडेल बर्गेसिस), अफ्रीका (रोडेशियई मानव), एशिया (चीन, जिनी यूशन; भारत, नर्मदा मानव) के विशेष संदर्भ में। 

निएंडर्थल मानव : वितरण, वैशिष्ट्य लक्षण और जातिवृत्तीय प्रस्थिति। शारीरिक रूप से आधुनिक होमो सेपियेंस के अभिलक्षण – अफ्रीका (ओमो), यूरोप (क्रो-मैग्नन, चांसे लेड, ग्रिमाल्डी), एशिया (जिनी उषन) और ऑस्ट्रेलिया (लेक मंगो) के विशेष संदर्भ में 

आधुनिक मानवों का छितराव : अफ्रीका प्राक्कल्पना, बहुक्षेत्रीय प्राक्कल्पना, आंशिक विस्थापन प्राक्कल्पना के बाहर

 

इकाई- 3

आधुनिक मानवपरक वैविध्य : टाइपोलॉजिकल मॉडल, पोपुलेशनल मॉडल, क्लाइनल मॉडल; ब्लूमेनबाख, डेनिकर, हूटोन, कून, गार्न तथा बर्डसेल द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण का विहंगावलोकन। 

भारतीय जनसंख्या का नृजातीय वर्गीकरण और वितरण : एच.एच. रिस्ले, बी. एस. गुहा, एस. एस. सरकार 

नृजातीय समूहों का भाषाई वितरण / मानव आनुवंशिकी के अध्ययन की विधियाँ : कोशिका आनुवंशिकी, मेंडेलीय आनुवंशिकी, जुडवां संतान आनुवंशिकी, सहोदर युग्म विधि, समष्टि आनुवंशिकी, आण्विक आनुवंशिकी। 

 

कोशिका आनुवंशिकी : कोशिका-चक्र, गुणसूत्रप्ररूपण तथा पट्टाभन की मानक तकनीकें (जी, सी और क्यू) 

 गुणसूत्री अपसामन्यताएँ, सीटू सांकरण में प्रतिदीप्ति, लीओन की प्राक्कल्पना, अंतखंड और गुणसूत्र बिन्दु का महत्त्व

सहलग्नता तथा गुणसूत्र का मानचित्रण, आनुवंशिकता की छाप वंशागति की रीतियाँ : अलिंग सूत्री ( प्रबल, अप्रभावी, सहप्रबलता), लिंग संबंधित, लिंग प्रभावित, लिंग परिसीमित, सुधारक जींस, शमनकारक जींस, स्वार्थी जींस, बहुल युग्म विकल्पी वंशागति, बहुघटकीय वंशागति (कद-काठी और त्वचा-वर्ण), बहुजीवी अंगुलि – चिह्न शास्त्र – अंगुली – गोलक पैटर्न के प्रकार, डैंकमी जर का इंडेक्स, फ्यूरुहाटा का इंडेक्स तथा पैटर्न इंटेंसिटी इंडेक्स, टोटल फिंगर रिज काउंट, एब्सोल्यूट फिंगर रिज काउंट, पामर का फार्मूला और मेनलाइन इंडेक्स, अनुप्रस्थता ए टी डी ऐंगल तथा आकुंचन रेखा। 

जनसंख्या आनुवंशिकी : हार्डी वाइनबर्ग साम्यावस्था, परिभाषा और अनुप्रयोग; संभोग के पैटर्न (यादृच्छिक, वरपात्मक तथा समोद्भावतापरक), अंतःप्रजनन गुणांक, आनुवंशिक भार, आनुवंशिक आइसो लेट, आनुवांशिक अन्तराल; आनुवंशिक बहुरूपता (संतुलित और अस्थायी) 

आण्विक आनुवंशिकी : डी एन ए, आर एन ए, जीन कोड, प्रोटीन संरचना और संश्लेषण, RFLPs, VNTRs, STRs और SNPs की अवधारणाएँ, सूत्रकाणिका डी एन ए, जीनी और जीनोमी उत्परिवर्तन

 

इकाई- 4 : 

मानव वृद्धि, विकास और परिपक्वता : परिभाषा, संकल्पनाएँ । वृद्धि के मूलभूत सिद्धांत; वृद्धि की अवस्थाएँ : प्रसव पूर्व तथा प्रसवोत्तर (शरीर के विभिन्न अंगों, अवत्वक ऊतकों तथा शरीरक्रियात्मक परिवर्तों का) वृद्धि और विकास। वृद्धि-वक्रः वेग, दूरी, चरण तथा स्कैमन्स ग्रोथ कर्व, कैच-अप तथा कैच डाउन ग्रोथ 

कायिक, कंकालिक तथा दंत्य परिपक्कन के विशेष संदर्भ में जरण और जीर्णता वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक, आनुवंशिक और पर्यावरणीय, वृद्धि में सेकुलर प्रवृतियाँ मानव वृद्धि के अध्ययन संबंधी विधियाँ : अनुदैर्ध्य, क्रॉस-सेक्शनल, मिश्रित अनुदैर्ध्य, सहलग्न अनुदैर्ध्य शरीर की संरचना : अस्थि- द्रव्यमान (बोन मॉस), शरीर द्रव्यमान (बॉडी मॉस), शरीर वसा का प्रतिशत, खंडाशीय वसा, शरीर का वय। 

मानव अनुकूलन : एलेन और बर्गमैन का नियम, मानव अनुकूलनीयता कार्यक्रम; ताप, शीत, अति-उत्तुंगता का मानव अनुकूलन

कार्य-प्ररूपीकरण : अवधारणा, विकास (क्रेश्मर, शेल्डन, पार्नोल, हेल्थ कार्टर) और इसका अनुप्रयोग जनसांख्यिकी : जनसांख्यिकी की बहुविषयात्मक प्रकृति और अन्य विषयानुशासनों के साथ इसका संबंध। जनसांख्यिकी और नृविज्ञानी जनसांख्यिकी के बीच संबंध । प्रजननशक्ति (अवधारणा और निर्धारक तत्त्व), अस्वस्थता तथा मरणशीलता (अवधारणा तथा निर्धारक तत्व), प्रवास (अवधारणा तथा निर्धारक तत्व), चयन गहनता। 

 

इकाई- 5 

प्रागैतिहासिक पुरातत्व विज्ञान की संकल्पना; जाति – पुरातत्त्व विज्ञान, प्रायोगिक पुरातत्त्व विज्ञान, पर्यावरणीय पुरातत्त्व विज्ञान, बस्ती पुरातत्त्व विज्ञान, संज्ञानात्मक पुरातत्वविज्ञान, भौगोलिक पुरातत्त्व विज्ञान, क्रियाशील पुरातत्त्व विज्ञान। सैद्धांतिक प्रतिमान विवरणात्मक से वैज्ञानिक काल से व्याख्यात्मक काल। 

काल निर्धारण (डेटिंग) : 

प्रकार विज्ञान, कालानुक्रमण, भू-पुरातात्विक, ऑब्सीडियन, जलयोजन, अस्थियों का रासायनिक काल निर्धारण, आक्सीजन आइसोटोप, फ्लोरीन निर्धारण, वृक्ष-काल निर्धारण, रेडियो कार्बन, विखंडन ट्रैक, थर्मेल्युमिनेसेंस, पोटोशियम-आर्गन, अनुवर्षस्तरी मृत्तिका, क्रॉस डेटिंग, एमिनो एसिड रेसिमीकरण, पैलियो मैग्नेटिक। पुरा-पर्यावरण : प्रमुख भूवैज्ञानिक अवस्थाएं (तृतीयक, चतुर्थक, प्रातिनूतन, सर्वनूतन कल्प) । प्राति नूतन एवं उत्तर प्रातिनूतन युगों के दौरान जलवायु में हुए मुख्य परिवर्तन, हिमानी एवं अंतः हिमानी काल, हिम युग, आर्द्र-कल्प एवं अंतः आर्द्र कल्प जलवायु प्रावस्थाएं। चतुष्क जलवायु परिवर्तन के साक्ष्य (हिमोद, वार्व, नदी वेदिकाएं, लोएस, समुद्र स्तरीय परिवर्तन, सागर तट अनुक्रम, सी कोर आंतरिक क्षेत्र, नदीय निक्षेप, पेलिनोलॉजी, जीवाश्म विज्ञान ) स्थल निर्माण।

निम्नपाषाणयुगीन उपकरण प्ररूपविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : 

निम्र पुरापाषाण (गुटिका औजार, गँडासा एवं काटने के औजार, द्विमुखीय, हस्तकुठार तथा विदारक ; मध्य पुरा पाषाण युग (क्लेक्टोनीन, लवाल्वाई, तथा मुस्तेरी शल्क, चक्रिल क्रोड, कच्छप क्रोड़, नालीयुक्त क्रोड, खुश्चनियां, वेधनी / कांटा); उत्तर पुरा पाषाण युग (ब्लेड, छुरी, भोथरा- पृष्ठभाग, वेधक, उत्कीर्णक, वेधनी); मध्यपाषाण युगीन (सूक्ष्म पाषाणयुगीन); वलयाकार प्रस्तर, घर्षण पत्थर, आदिम कुल्हाड़ी, बसूला 

यूरोप की पाषाणयुगीन संस्कृतियों का विंहगावलोकन : निम्रपुरा-पाषाणयुगीन : एञ्चली संस्कृति मध्य पुरापाषाणयुगीन : मुस्तारी संस्कृति उच्च पुरापाषाणयुगीन : पैरीगार्डियन संस्कृति, चेटलपेरोनियन, ग्रेवेटियन (संस्कृति), औरिग्रेशियन संस्कृति, सोल्युट्रियन संस्कृति, मेगडेलेनियन संस्कृति। 

मध्य पाषाणयुगीन : एजिलियाई (संस्कृति), टार्डोनोसियाई (संस्कृति) मंगलेमोसियान (संस्कृति), किचन मिडन, नतुफ़ी (संस्कृति) 

प्रारम्भिक कृषि संस्कृतियां तथा नवपाषाणयुगीन पूर्व के समीप (संस्कृति) : जेरिको, जर्मो, केटल, हुयुक, शानिदार जैसे स्थल।

 

इकाई- 6 : 

भारत में निम्र पुरा-पाषाण युग 

बटिकाश्म / गुटिका औजार संस्कृति : सोन संस्कृति, ऐश्चली संस्कृति : मद्रासियन (कोर तलायर घाटी), अत्तिरमपाक्कम, डिडवाना, बेलन घाटी, भीमबेटका, चिरकी-नेवासा, हँसगी, कृष्णा घाटी हथनोड़ा का महत्त्व, नर्मदा घाटी 

भारत में मध्य पुरा-पाषाण युग : बेलन घाटी, भीमबेटका, नेवासा, नर्मदा घाटी। 

भारत में उच्च पुरा-पाषाण युग : रेनिंगुंटा, बिल्लासर्गम, पटने, भीमबेटका, सोन एवं बेलन घाटियां, विसदी, पुष्कर, गुंजन घाटी।

भारत में मध्यपाषाण युग : मध्य पाषाणयुगीन अर्थव्यवस्था तथा समाज । उत्तर प्राति नूतन पर्यावरणीय परिवर्तन । मध्य-पाषाणयुगीन प्रौद्योगिकी में विकास, संयुक्त उपकरण तथा धनुष-वाण स्थलों में शमिल हैं बागोर, तिलवाड़ा, लंघनाज, आदमगढ़, बगोर, चोपानी मांडो, भीमबेटका, सराय नाहर राय, बीरभान पुर। 

भारत में नवपाषाण युग : 

खाद्य उत्पादन के आर्थिक एवं सामाजिक परिणाम। बस्तियां, जनसंख्या वृद्धि, शिल्पों में विशेषज्ञता, वर्ग की उत्पत्ति और राजनीतिक संस्थाएं | बुर्जहोम, गुफ्फकराल, आहार, गिलूण्ड, नागदा कायथ, नवदतोली, एंरन, नेवासा, चंदोली, दैमाबाद, इनामगांव, प्रकाश, मास्की, ब्रह्मगिरी, संगनकल्लु, टेक्कलकोटा, पिकलिहाल, नागार्जुनकोंडा, दओजली हैडिंग, कुचाई, सरुताडु जैसे स्थल। 

भारत में प्रागैतिहासिक गुहा-कला : भीमबेटका, आदमगढ़।

सिन्धु सभ्यता : ग्राम स्थलों का विस्तार | धातु प्रौद्योगिकी, कला एवं लेखन का विकास | स्थापत्य कला एवं नगर नियोजन। पतन की अवस्थाएं और सिद्धांत | अमरि, कोट दीजी, कालीबंगन, मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा, लोथल, धौलवीरा, राखीगढ़ी जैसे स्थल। 

मृदभांड और परम्पराएं : गेरूए रंग के मृद्भांड (ओ सी पी ), काले एवं लाल भांड, धूसर रंगलोपित भांड ( पी जी डब्ल्यू), उत्तरी काले रंगलेपित भांड, मृद्भांड के प्रकारों और युगों का वितरण कांस्य / तांबे का युग : सामान्य अभिलक्षण, वितरण, लोग। 

लौह युग एवं नगरीय क्रान्ति : सामान्य अभिलक्षण, वितरण, लोग। 

महापाषाणयुगीन : संकल्पना और प्रकार (मैनहिर, डॉलमेन, टापिकल, सिस्ट / संगौरा वृत, पाषाण शव पेटिका ) |

 

इकाई- 7 : समाज नृविज्ञान की संकल्पनात्मक समझ : 

संस्कृति : विशिष्टताएँ, सर्वांगीणतावाद, सार्वभौम, एकल्चरेशन, एन्कल्चरेशन, ट्रांसकल्चरेशन, संस्कृति परिवर्तन, सांस्कृतिक आघात, सांस्कृतिक सापेक्षवाद, सभ्यता, लोक-शहरी सातत्यक, वृहत तथा लघु परम्परा, सांस्कृतिक बहुवाद एवं विश्व – परिदृश्य । 

समाज : समूह, संस्थाएं, संघ, समुदाय, प्रस्थिति एवं भूमिका, कौटुम्बिक व्यभिचार सगोत्र विवाह तथा विजातीय विवाह, जीवन-यात्रा के संक्रमणकालीन संस्कार और अनुष्ठान।

सामाजिक संस्थाएं : 

परिवार : परिभाषाएँ, परिवार की सार्वभौमिकता, परिवार का अध्ययन करने की प्रारूपिक तथा प्रक्रियात्मक पद्धतियां। परिवार के प्रकार – जन्म संबंधी दाम्पत्यमूलक, समोद्भव, एकल, संयुक्त, विस्तारित | निवास के नियम – पितृस्थानिक, मातृस्थानिक, उभयस्थानिक, द्विस्थानिक, नवस्थानिक, मातुल स्थानिक, पतिस्थानिक, बुआस्थानिक, पत्नीस्थानिक । परिवार के कार्य, परिवर्तन की प्रवृतियाँ – शहरीकरण, वैश्वीकरण, उद्योगीकरण, नारीअधिकारवादी आन्दोलन । 

विवाह : परिभाषा, सार्वभौमिकता, प्रकार और कार्य (एकविवाह प्रथा, बहुविवाह प्रथा -बहुपति प्रथा, बहुपत्नी प्रथा, प्रतिलोम विवाह प्रथा, अनुलोम विवाह प्रथा, देवर अधिकार, साली विवाह अधिकार)। अधिमानी एवं अनुशासनमूलक प्रकार । वैवाहिक लेनदेन के प्रकार और रूप वधु-कीमत और दहेज, अदली-बदली के रूप में विवाह। 

सगोत्रता : परिभाषा, वंशानुक्रम, सगोत्रता संबंधी शब्दावली, मातृवंशीय पहेली। परिहास एवं परिहार । द्वि अंशक, बिरादरी, कुल एवं वंश परम्परा । सगोत्रता की प्रणालियों के प्रकार।

आर्थिक नृविज्ञान : परिभाषा और नृविज्ञान तथा अर्थव्यवस्था से आर्थिक नृविज्ञान का संबंध | सिद्धान्त (मालिनोवस्की, औपचारिक, तात्विकतावादी, मार्क्सवादी ) | आजीविका, जीवन निर्वाह, उत्पादन, वितरण, उपभोग के सिद्धांत; आखेट-संग्रहण, पशुचारण, स्थानांतरी कृषि भूमि और कृषिसमुदाय में श्रम विभाजन । विनिमय, पारस्परिक आदान-प्रदान, उपहार एवं वस्तु विनिमय प्रणालियां | कुल, पोटलाश एवं जजमानी नृविविज्ञानिक व्याख्याएँ। 

विधिक नृविज्ञान : विधि का नृविज्ञान, सामाजिक नियम । 

राजनीतिक संगठन : परिभाषाएं, टोली, जनजाति, सरदारी और राज्य शासन प्रणालियों में राजनितिक प्रक्रियाएं। संघर्ष तथा सामाजिक नियन्त्रण। राष्ट्र एवं राष्ट्र-राज्य, लोकतंत्र। 

धर्म एवं आस्था प्रणालियां : परिभाषाएं, एनिमिज्म, एनिमिटज्म, मानाइज्म, बोंगाइज्म, टोटेमिज्म, टैबू। धार्मिक विशेषज्ञ – चुड़ैल, शमन, पुजारी, ओझा, ऐंद्रजालिक | जादू – परिभाषाएं, प्रकार, उपागम। कर्मकाण्ड। 

सामाजिक परिवर्तन : मूलभूत विचार एवं अवधारणाएं (आत्मसातीकरण, एकीकरण, समज्जन, प्रभुत्व एवं पराधीनता), उपागम।

 

इकाई- 8 : 

सामाजिक नृविज्ञान के सिद्धान्त 

उद्विकासवाद – टाइलर, मॉर्गन, फ्रेजर, मेन, मैकलेनान। 

विसरणवाद – तीन सम्प्रदाय (आस्ट्रो-जर्मन, बिट्रिश, अमेरिकी ) 

ऐतिहासिक विशिष्टतावाद – बोअस प्रकार्यवाद – मालिनोव्स्की 

संरचनात्मक प्रकार्यवाद – रेडक्लिफ ब्राऊन, फर्थ, फोर्टिस, एग्गेन, पार्सन्स। 

संरचनात्मकतावाद – लेवि-स्ट्रॉस संस्कृति एवं व्यक्तित्व / मनोवैज्ञानिक नृविज्ञान – मीड, बेनिदिक्त, डुबोइस, लिंटन, कार्डिनेर, व्हाइटिंग और चाइल्ड । 

सांस्कृतिक पारिस्थितिकी, पर्यावरणीय नृविज्ञान, नव-उद्विकासवाद (लेस्ली व्हाइट, जूलियन स्टीवार्ड, मार्शल सलिन्स)। 

सांस्कृतिक भौतिकवाद – मार्विन हैरिस 

प्रतीकात्मक नृविज्ञान – विक्टर टर्नर, रेमण्ड फर्थ, मेरी डगलस 

संज्ञानात्मक नृविज्ञान – रॉय डी’ अण्डरडे, स्टीफन टाइलर, वार्ड गुडएनफ 

गहन नृजाति वर्णन, व्याख्यात्मक नृविज्ञान – क्लिफ़र्ड गीर्ट्ज, नृविज्ञान और लिंग – लीला दुबे, रेनाटो रोसाल्डो, मैरीलिन स्ट्राथर्न, जोरा नील हटसन। 

उत्तर आधुनिकतावाद, उत्तर संरचनात्मकतावाद, उत्तर उपनिवेशवाद – फूको, डेरिडा, बौरदिएउ । नृजातीयता – बार्थ, जेफ़री, वेबर 

 

इकाई-9 : भारतीय नृविज्ञान के विकास की अवस्थाएं अवधारणाएं : 

सामाजिक स्तरीकरण (अर्थात जाति), अनुसूचित जाति (एस.सी.), दलित, ओ.बी.सी., खानाबदोश समूह। पुनरूत्थानवादी / मूलनिवासी आन्दोलन, किसान आन्दोलन ( मालाबार और तेलंगाना आन्दोलन )। 

जनजाति, अनुसूचित जनजाति (एस.टी.), विशेष रुप से अशक्त समूह (पी.वी.टी. जीएस)| जनजातीय आन्दोलन (बिरसा एवं नागा आन्दोलन), जनजातीय विकास, वितरण। भारतीय ग्राम एवं भारत में ग्राम अध्ययन ( एस. सी. दूबे, मैकिम मैरिओट, वीजर, स्कारलेट एपस्टीन, एम.एन.श्रीनिवास, एफ. जी. बेले ) एस.सी. और एस. टी के लिए संवैधानिक रक्षोपाय, अंतर्वेशन एवं बहिष्करण | पंचायती राज संस्थाएं एवं अन्य पारंपरिक सामुदायिक राजनीतिक संगठन, स्वयं-सहायता समूह (एस.एच.जी.एस)। 

सैद्धान्तिक विचार : संस्कृतीकरण, पश्चिमीकरण, आधुनिकीकरण, वैश्वीकरण, परमपावनता समष्टि, प्रकृति पुरुष-आत्मा समष्टि 

प्रारम्भिक भारतीय नृविज्ञानी तथा उनका योगदान : जी. एस. धुर्ये, बी. एस. गुहा, एस.सी. रॉय, इरावती कार्वे, एल.पी.विद्यार्थी, एस. सी. दुबे, एम. एन. श्रीनिवास, एन. के. बोस, सुरजित सिन्हा, डी. एन. मजूमदार, एस.आर.के. चोपड़ा, वेरियर एल्विन, एस. एस. सरकार, धरणी सेन, टी.सी.दास, पी.सी. विश्वास।

 

इकाई- 10 

अवधारणाएं एवं सिद्धान्त : अनुप्रयुक्त नृविज्ञान, क्रियाशील नृविज्ञान, आस्थित नृविज्ञान, प्रायोगिक नृविज्ञान; नगरीय नृविज्ञान, लोक नृविज्ञान, लोक पुरातत्व विज्ञान, विकास का नृविज्ञान, चिकित्सावैज्ञानिक नृविज्ञान, दृश्य नृविज्ञान, जीनोमिक अध्ययन, आनुवंशिक स्क्रीनिंग एवं परामर्श, विधि-चिकित्सावैज्ञानिक नृविज्ञान, आहार तथा पौष्टिकता नृविज्ञान, श्रमदक्षताशास्त्र, किनएंथ्रोपोमेट्री, व्यवसाय नृविज्ञान। 

सामुदायिक विकास परियोजनाएं (ग्रामीण, शहरी एवं जनजातीय); पुनःनिरीक्षण, पुनः अध्ययन, पुनःव्याख्या, हस्तक्षेप, शोध प्रक्रिया एवं सामाजिक प्रभाव आकलन (एस.आई.ए)। 

सामुदायिक अध्ययनों में नृशास्त्रीय उपागम : लोक स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, भू स्वामित्व हस्तांतरण, बंधुआ मजदूर, आवास, वैकल्पिक अर्थव्यवस्था, आजीविका, जेंडर सम्बन्धी मुद्दे, राहत, पुनर्वास और स्थान परिवर्तन, पहचान- संकट, संचार, प्रशिक्षण एवं प्रबंधन, जरण और वृद्ध । 

विकास की कार्यनीतियाँ (योजना / उपयोजना ) विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका, नृविज्ञान और गैर सरकारी संगठन। महिला सशक्तिकरण, एल. जी. बी. टी. समूह |

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