NET JRF History Syllabus in Hindi Paper 2 – नेट जेआरएफ़ इतिहास सिलेबस

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संकल्पनाएं, विचार और अवधियाँ /  शब्दावलियाँ 

भारतवर्ष अमरम
सभा और समिति राय- रेखो
वर्णाश्रम जंगम / दास
वेदान्त मदरसा / मकतब
पुरुषार्थ चौथ / सरदेशमुखी
ऋण सराय
संस्कार पोलिगर
यज्ञ जागीर / शरियत
गणराज्य दस्तूर मंसब (ओहदा)
जनपद देशमुख
कर्म का सिद्धान्त नाडु / उर
दंडनीति / अर्थशास्त्र / सप्तांग उलेमा
धर्मविजय स्तूप / चैत्य / विहार फरमान
नागर / द्राविड़ / वेसरा सत्याग्रह
बौद्धिसत्त्व / तीर्थंकर स्वदेशी
अलवार / नयनार पुनः परिवर्तनवाद
श्रेणी सम्प्रदायवाद
भूमि-छिद्र-विधान-न्याय प्राच्यवाद
कर-भोग-भाग प्राच्य निरकुंशतावाद
विष्टि वि-औद्योगिकीकरण
स्त्रीधन भारतीय पुनर्जागरण
स्मारक पत्थर आर्थिक अपवहन
अग्रहार उपनिवेशवाद
आइन-इ-दशसाला परमोच्चशक्ति
परगना द्विशासनतंत्र
शाहना-इ-मण्डी संघवाद
महलवारी उपयोगितावाद
हिन्द स्वराज फिल्टर सिद्धान्त
वणिकत्ववाद अग्रवर्ती नीति
आर्थिक राष्ट्रवाद राज्य लोप सिद्धान्त
खिलाफत सहायक सन्धि (मैत्री)
सुलह-इ-कुल सुधर्मवाद
तुर्कान-इ-चहलगानी भूदान
वतन पंचशील
बलूता मिश्रित अर्थव्यवस्था
तकावी समाजवाद
इक्ता हिन्दू कोड बिल
जज़िया ऐतिहासिक पद्धतियाँ
ज़कात साहित्यिक चोरी
मदद-इ-माश इतिहास लेखन में आचार और नैतिकता

 

इकाई-I 

स्रोतों संबंधी वार्ता : पुरातत्वीय स्रोत : अन्वेषण, उत्खनन, पुरालेख विद्या तथा मुद्राशास्त्र की जानकारी । पुरातत्वीय स्थलों का काल निर्धारण। साहित्यिक स्रोत : स्वदेशी साहित्य : प्राथमिक एवं द्वितीयक : धार्मिक और धर्म निरपेक्ष साहित्य, मिथिक, दंत कथाओं आदि के काल निर्धारण की समस्याएं । विदेशी विवरण : यूनानी, चीनी और अरबी विद्वान 

पशुचारण और खाद्य उत्पादन : नवपाषाण और ताम्र पाषाण युग : अधिवासन, वितरण, औज़ार और विनिमय का ढाँचा। 

सिंधु / हड़प्पा की सभ्यता : उद्भव, विस्तार सीमा, मुख्य स्थल, अधिवास का स्वरूप, शिल्प विशिष्टता, धर्म, समाज और राज्य शासन विधि, सिंधु घाटी सभ्यता का ह्रास, आन्तरिक और बाहरी व्यापार, भारत में प्रथम शहरीकरण।

वैदिक तथा उत्तरकालीन वैदिक युग : आर्यों से संबंधित विवाद, राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाएं, राज्य संरचना और राज्य के सिद्धान्त; वर्ण और सामाजिक स्तरीकरण का उद्भव, धार्मिक और दार्शनिक विचार। लौह प्रौद्योगिकी का प्रारम्भ, दक्षिण भारत के महापाषाण। 

राज्य शासन व्यवस्था का विस्तार : महाजनपद, राजतन्त्रीय और गणतन्त्रीय राज्य, आर्थिक और सामाजिक विकास और 6ठी शताब्दी ई.पू. में द्वितीय शहरीकरण का उद्भव; अशास्त्रीय पंथ – जैन धर्म, बौद्ध धर्म और आजीवक सम्प्रदायों का उद्भव।

 

इकाई-II 

मौर्यों का राज्य से साम्राज्य तक : मगध का उत्थान, सिकन्दर के अधीन यूनानी आक्रमण और इसके प्रभाव, प्रसार, मौर्यों की राज्य व्यवस्था, समाज, अर्थव्यवस्था, अशोक का धम्म और उसकी प्रकृति, मौर्य साम्राज्य का ह्रास और विघटन, मौर्य कालीन कला और वास्तुकला, अशोक के राजादेश : भाषा और लिपि। 

साम्राज्य का अन्त और क्षेत्रीय ताकतों का उद्भव : इंडो-यूनानी, शुंग, सातवाहन, कुषाण और शक-क्षत्रप, संगम साहित्य, संगम साहित्य में प्रतिबिम्बत दक्षिण भारत की राज्य शासन प्रणाली और समाज | दूसरी शताब्दी बी.सी.ई. से तीसरी शताब्दी सी. ई. तक व्यापार और वाणिज्य, रोमन जगत के साथ व्यापार, महायान बौद्धधर्म, खारवेल और जैनधर्म का उद्भव, मौर्योत्तर काल में कला और वास्तुकला, गांधार, मथुरा और अमरावती शैलियाँ। 

गुप्त वाकाटक युग : राज्य शासन व्यवस्था और समाज, कृषि अर्थव्यवस्था, भू-अनुदान, भू राजस्व और भू अधिकार, गुप्तकालीन सिक्के । मन्दिर स्थापत्य कला का प्रारम्भ, पौराणिक हिन्दू धर्म का उद्भव, संस्कृत भाषा और साहित्य का विकास, विज्ञान प्रौद्योगिकी, खगोल विज्ञान, गणित और औषधि में विकास 

हर्ष और उसका युग : प्रशासन और धर्म । 

आंध्र देश में सालांकेयान वंश और विष्णुकुंडीन वंश ।

 

इकाई-III 

क्षेत्रीय राज्यों का उद्भव : दक्षिण में राज्य : गंग, कदंब वंश, पश्चिमी और पूर्वी चालुक्य वंश, राष्ट्रकूट, कल्याणी चालुक्य, काकतीय, होयसल और यादव वंश | 

दक्षिणी भारत में साम्राज्य : पल्लव, चेर, चोल, पाण्ड्य वंश | 

पूर्वी भारत में साम्राज्य : बंगाल के पाल और सेन, कामरूप के वर्मन, उड़ीसा के भौमाकार और सोमवंशी। 

पश्चिम भारत में साम्राज्य : बल्लभी के मैत्रिक और गुजरात के चालुक्य वंश। 

उत्तरी भारत के साम्राज्य : गुर्जर प्रतिहार, कलचुरी-चेदि, गहड़वाल वंश और परमार वंश प्रारम्भिक 

मध्यकालीन भारत की विशेषताएं : प्रशासन और राजनीतिक ढ़ांचा, राजतंत्र का वैधीकरण | 

कृषि अर्थव्यवस्था : भूमि अनुदान, उत्पादन सम्बन्धी बदलते सम्बन्ध; श्रेणीबद्ध भूमि अधिकार और किसान वर्ग, जल संसाधन, कर प्रणाली, सिक्के और मुद्रा प्रणाली ।

व्यापार और शहरीकरण : व्यापार का ढाँचा और शहरी बस्तियों का स्वरूप, पत्तन और व्यापार मार्ग व्यापारी माल और विनमय, व्यापार संघ (गिल्ड); दक्षिण-पूर्व एशिया में व्यापार और उपनिवेशीकरण 

ब्राह्मणीय धर्मों का विकास : वैष्णववाद और शैववाद; मन्दिर; संरक्षण और क्षेत्रीय बहुशाखन । मन्दिर स्थापत्य कला और क्षेत्रीय शैलियाँ दान, तीर्थ और भक्ति, तमिल भक्ति आन्दोलन- शंकर, माधव और रामानुजाचार्य। 

समाज : वर्ण, जाति और जातियों का प्रचुरोद्भवन, स्त्रियों की स्थिति, लिंङ्ग, विवाह और सम्पत्ति सम्बन्ध; सार्वजनिक जीवन में स्त्रियाँ । किसानों के रूप में जनजातियाँ और वर्ण व्यवस्था में उनका स्थान, अस्पृश्यता। 

शिक्षा और शैक्षिक संस्थाएं : शिक्षा के केन्द्रों के रूप में अग्रहार, मठ और महाविहार । क्षेत्रीय भाषओं का विकास। 

प्रारम्भिक मध्यकालीन भारत में राज्य निर्माण की चर्चाएं : (अ) सामन्त मॉडल (ब) खंडीय मॉडल (स) समन्वयी मॉडल 

अरब के साथ सम्बन्ध : सुलेमान गज़नवी विजय, अल्बेरूनी का यात्रा विवरण।

 

इकाई- IV 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत : पुरातत्वीय, पुरालेखीय और मुद्रा शास्त्रीय स्रोत, भौतिक साक्ष्य और स्मारक; इतिवृत; साहित्यिक स्रोत – फारसी, संस्कृत और क्षेत्रीय भाषाएं; दफ्तर खाना : फरमान, बहियां / पोथियां / अख़बारात; विदेशी यात्रियों के वृतांत -फारसी और अरबी 

राजनीतिक घटनाएं – दिल्ली सल्तनत – ग़ोरी, तुर्क, खलजी, तुग़लक, सैय्यद और लोदी | दिल्ली सल्लनत का ह्रास। 

मुग़ल साम्राज्य की नींव – बाबर, हुमायूँ और सूर वंश; अकबर से औरंगजेब तक प्रसार और सुदृढीकरण । मुगल साम्राज्य का पतन। 

उत्तर कालीन मुग़ल शासक और मुग़ल साम्राज्य का विघटन । 

विजयनगर और बहमनी – दक्षिण सल्तनत; बीजापुर, गोलकुंडा, बिदर, बेरार और अहमदनगर – उत्थान, प्रसार और विघटन; पूर्वी गंग और सूर्यवंशी गजपति ।

मराठों का उत्थान और शिवाजी द्वारा स्वराज की स्थापना; पेशवाओं के अधीन उसका विस्तार; मुगल-मराठों के सम्बन्ध, मराठा राज्यसंघ, पतन के कारण। 

 

इकाई-V 

प्रशासन और अर्थव्यवस्था : सल्तनत के समय में प्रशासन, राज्य का स्वरूप धर्मतन्त्रीय और ईशकेन्द्रित, केन्द्रीय, प्रान्तीय और स्थानीय प्रशासन, उत्तराधिकार का नियम । 

शेरशाह के प्रशासनिक सुधार; मुगल प्रशासन केन्द्रीय, प्रान्तीय और स्थानीय : मंसबदारी और जागीरदारी पद्धतियां। 

दक्षिण में प्रशासनिक प्रणाली – विजयनगर राज्य और शासन व्यवस्था, बहमनी प्रशासनिक प्रणाली; मराठा प्रशासन- अष्ट प्रधान 

दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासनकाल में सरहद सम्बन्धी नीतियां। सल्लनत और मुगलों के शासन में अंतर्राज्य सम्बन्ध। कृषि उत्पादन और सिंचाई व्यवस्था, ग्राम अर्थव्यवस्था, किसान वर्ग, अनुदान और कृषि ऋण। शहरीकरण और जनांकिकीय ढांचा। 

उद्योग – सूती कपड़ा, हस्तशिल्प, कृषि आधारित उद्योग, संगठन, कारखानें और प्रौद्योगिकी। 

व्यापार और वाणिज्य राज्य नीतियां, आंतरिक और बाह्य व्यापार : यूरोपीय व्यापार, व्यापार केन्द्र और पत्तन, परिवहन और संचार। 

हुंडी (विनिमय पत्र) और बीमा, राज्य की आय और व्यय, मुद्रा, टकसाल प्रणाली, दुर्भिक्ष और किसान विद्रोह।

 

इकाई-VI 

समाज और संस्कृति : सामाजिक संगठन और सामाजिक संरचना 

सूफी – उनके सिलसिले, विश्वास और प्रथाएं, प्रमुख सूफी संत, सामाजिक समकालीकरण। 

भक्ति आन्दोलन – शैववाद, वैष्णववाद, शक्तिवाद 

मध्यकालीन युग के संत – उत्तर और दक्षिण के संत, समाज-राजनीतिक और धार्मिक जीवन पर उनका प्रभाव 

मध्यकालीन भारत की स्त्री संत 

सिख्ख आन्दोलन- गुरुनानक देव : उनकी शिक्षायें और प्रथाएं, आदिग्रंथ; खालसा। 

सामाजिक वर्गीकरण : शासक वर्ग, प्रमुख धार्मिक समूह, उलेमा, वणिक और व्यावसायिक वर्ग राजपूत समाज। 

ग्रामीण समाज – छोटे सामन्त, ग्राम कर्मचारी, कृषक और गैर कृषक वर्ग, शिल्पकार। 

स्त्रियों की स्थिति – जनाना व्यवस्था- देवदासी व्यवस्था। 

शिक्षा का विकास, शिक्षा के केन्द्र और पाठ्यक्रम, मदरसा शिक्षा। 

ललित कलाएं – चित्रकारी की प्रमुख शैलियां-मुगल, राजस्थानी, पहाड़ी, गढवाली; संगीत का विकास। 

कला और वास्तुकला, इंडो-इस्लामी वास्तुकला, मुगल वास्तुकला, क्षेत्रीय वास्तुकला की शैलियां। 

इंडो-अरबी वास्तुकला, मुगल उद्यान, मराठा दुर्ग, पूजा गृह और मन्दिर ।

 

इकाई-VII 

आधुनिक भारतीय इतिहास के स्रोत : अभिलेखागारीय सामग्री, जीवन चरित और संस्मरण, समाचार पत्र, मौखिक साक्ष्य, सृजनात्मक साहित्य और चित्रकारी, स्मारक, सिक्के । 

ब्रिटिश सत्ता का उत्थान : 16 वीं और 18 वीं शताब्दी के दौरान भारत में यूरोपीय व्यापारी – पुर्तगाली, डच, फ्रांसिसी और ब्रिटिश 

भारत में ब्रिटिश आधिपत्य क्षेत्र (डोमिनियन) की स्थापना और विस्तार । 

भारत के प्रमुख राज्यों के साथ ब्रिटिश सम्बन्ध – बंगाल, अवध, हैदराबाद, मैसूर, कर्नाटक और पंजाब 

1857 का विद्रोह, कारण, प्रकृति और प्रभाव। कम्पनी और ताज (क्राउन) का प्रशासन; ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन केन्द्रीय तथा प्रान्तीय ढांचे का क्रमिक विकास (1773-1858) । 

कम्पनी के शासन काल में सर्वोच्च सत्ता, सिविल सर्विस, न्यायतंत्र, पुलिस और सेना; ताज (क्राउन) के अधीन रजवाड़ों की रियासतो में सर्वोच्च सता के प्रति ब्रिटिश 

नीति स्थानीय स्व-सरकार 

संवैधानिक परिवर्तन, 1909-1935

 

इकाई-VIII 

उपनिवेशीय अर्थव्यवस्था – बदलती संरचना, व्यापार की मात्रा और दिशा 

कृषि का विस्तार तथा वाणिज्यिकीकरण, भू अधिकार, भू बंदोबस्त, ग्रामीण ऋणग्रस्तता, भूमिहीन श्रम, सिंचाई और नहर व्यवस्था। 

उद्योगों का ह्रास- शिल्पकारों की बदलती सामाजिक-आर्थिक स्थितियां; वि-शहरीकरण; आर्थिक अपवहन; विश्व युद्ध और अर्थव्यवस्था। 

ब्रिटिश औद्योगिक नीति; मुख्य आधुनिक उद्योग; कारखाना कानून का स्वरूप; श्रम और ‘मजदूर संघ आन्दोलन ।

मौद्रिक नीति, बैंकिंग, मुद्रा और विनिमय, रेलवे तथा सड़क परिवहन, संचार-डाक और टेलीग्राफ 

नूतन शहरी केन्दों का विकास; नगर आयोजन और स्थापत्य की नूतन विशेषताएं शहरी समाज और शहरी समस्याएं। 

अकाल, महामारी और सरकारी नीति। 

जनजाति और किसान आन्दोलन । 

संक्रमणकाल में भारतीय समाज : ईसाई धर्म से सम्पर्क – ईसाई मिशन और मिशनरी; भारत की सामाजिक एवं आर्थिक प्रथाओं और धार्मिक धारणाओं की समालोचना; शैक्षिक तथा अन्य गतिविधियां 

नई शिक्षा – सरकारी नीति; स्तर और विषयवस्तु; अंग्रेजी भाषा; विज्ञान, प्रौद्योगिकी, लोक स्वास्थ्य एवं औषधि – आधुनिकतावाद की ओर। 

भारतीय पुनर्जागरण सामाजिक-धार्मिक सुधार; मध्यम वर्ग का उद्भव, जातिगत संगठन और जातीय गतिशीलता। 

स्त्रियों से संबंधित प्रश्न राष्ट्रवादी चर्चा; स्त्रियों के संगठन; स्त्रियों से सम्बन्धित ब्रिटिश कानून, लिंङ्ग पहचान एवं संवैधानिक स्थिति। 

प्रिंटिंग प्रेस – पत्रकारिता सम्बन्धी गतिविधि तथा लोकमत। 

भारतीय भाषाओं और साहित्यिक विधाओं का आधुनिकीकरण – चित्रकारी, संगीत और प्रदर्शन कलाओं का पुनर्स्थापन।

 

इकाई-IX 

भारतीय राष्ट्रवाद का उत्थान : राष्ट्रवाद का सामाजिक एवं आर्थिक आधार । 

भारतीय नेशनल कांग्रेस का जन्म, भारतीय नेशनल कांग्रेस के सिद्धान्त और कार्यक्रम, 1885-1920 : प्रारम्भिक राष्ट्रवादी, स्वाग्रही राष्ट्रवादी और आंदोलनकारी । 

स्वदेशी और स्वराज। 

गांधीवादी जन आन्दोलन; सुभाष चंद्र बोस और आई.एन.ए.; राष्ट्रीय आन्दोलन में मध्य वर्ग की भूमिका; राष्ट्रीय आन्दोलन में स्त्रियों की भागीदारी। 

वामपंथी राजनीति। 

दलित वर्ग आन्दोलन 

साम्प्रदायिक राजनीति; मुस्लिम लीग एवं पाकिस्तान की उत्पति। 

स्वतन्त्रता और विभाजन की ओर। 

स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत : विभाजन की चुनौतियां; भारतीय रजवाड़ों की रियासतों का एकीकरण; कश्मीर, हैदराबाद तथा जूनागढ़। 

बी.आर.अम्बेडकर – भारतीय संविधान का निर्माण, इसकी विशेषताएं। 

अधिकारी वर्ग का ढांचा। 

नई शिक्षा नीति | 

आर्थिक नीतियाँ और नियोजन प्रक्रिया; विकास, विस्थापन और जनजातीय मुद्दे । 

राज्यों का भाषाई पुनर्गठन; केन्द्र-राज्य सम्बन्ध। 

विदेश नीति सम्बन्धी पहल पंचशील; भारतीय राजनीति की गत्यात्मकता; आपातकाल; उदारीकरण, भारतीय अर्थव्यवस्था का निजीकरण तथा वैश्वीकरण |

 

इकाई-X 

ऐतिहासिक प्रणाली, शोध, कार्य प्रणाली तथा इतिहास लेखन : 

इतिहास की विषय विस्तार सीमा और महत्त्व 

इतिहास में वस्तुनिष्ठता और पूर्वाग्रह 

अन्वेषणात्मक संक्रिया, इतिहास में आलोचना, संश्लेषण तथा प्रस्तुति 

इतिहास और इसके सहायक विज्ञान 

इतिहास विज्ञान, कला या सामाजिक विज्ञान? 

इतिहास में कारण-कार्य-सम्बन्ध और कल्पना। 

क्षेत्रीय इतिहास का महत्त्व 

भारतीय इतिहास में आधुनिक प्रवृत्तियां 

शोध कार्यप्रणाली

इतिहास में प्राक्कल्पना 

प्रस्तावित शोध का क्षेत्र 

स्रोत–आंकड़ों का संग्रह – प्राथमिक / द्वितीयक, मूल तथा पारगमनीय स्रोत 

इतिहास शोध में प्रवृतियाँ 

वर्तमान भारतीय इतिहास लेखन 

इतिहास में विषय का चयन 

नोट्स लेना, संदर्भ निर्देश, पाद टिप्पणियां और ग्रंथ-सूची। 

थीसिस / शोध प्रबन्ध और निर्दिष्ट कार्य को पूरा करना 

साहित्यिक चोरी, बौद्धिक बेईमानी और इतिहास लेखन। 

ऐतिहासक लेखन का प्रारम्भ – यूनानी, रोमन एवं गिरजाघर सम्बन्धी इतिहास लेखन 

पुनर्जागरण और इतिहास लेखन पर इसका प्रभाव। इतिहास लेखन के नकारात्मक तथा सकारात्मक समर्थक। 

इतिहास लेखन में बर्लिन क्रान्ति – वी. रैंक 

इतिहास का मार्क्सवादी दर्शन – वैज्ञानिक भौतिकवाद । 

इतिहास का चक्रीय सिद्धान्त – औसवाल्ड स्पेंगलर 

चुनौती एवं प्रत्युत्तर सिद्धान्त – अर्नोल्ड जोसफ टॉयनबी 

इतिहास में उत्तर आधुनिकतावाद

 

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NET JRF Paper 1 Syllabus in Hindi

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