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NET JRF Social Work Syllabus in Hindi in Detail
विषय सूची
इकाई–I समाज कार्य की प्रकृति और विकास
इकाई–II समाज, मानव व्यवहार और समुदाय
इकाई–III व्यक्तियों और समूहों के साथ समाज कार्य
इकाई-IV समुदायों और सामाजिक क्रिया के साथ समाज कार्य
इकाई–V समाज कार्य में शोधः मात्रात्मक तथा गुणात्मक उपागम
इकाई VI प्रशासनकल्याण और विकास सेवाएं
इकाई-VII सामाजिक नीति, नियोजन एवं सामाजिक विकास
इकाई-VIII भारत का संविधान सामाजिक न्याय, मानव अधिकार और समाज कार्य अभ्यास
इकाई–IX समाज कार्य अभ्यास के क्षेत्र I
इकाई–X समाज कार्य अभ्यास के क्षेत्र II
इकाई–I
समाज कार्य की प्रकृति और इसका विकास
समाज कार्यः परिभाषा, विषय-क्षेत्र, सिद्धांत (प्रिंसिपुल्स), प्रकृति, लक्ष्य और प्रक्रिया ।
ऐतिहासिक विकास : विश्व (यू.के., यू.एस.ए. तथा भारत ) में व्यावसायिक समाज कार्य का विकास।
सामाजिक सुधार तथा व्यावसायिक समाज कार्य : भारत में व्यावसायिक समाज कार्य के विकास में उन्नीसवीं तथा बीसवीं शताब्दी में समाज सुधारकों का योगदान |
भारत में समाज कार्य एक व्यवसाय के रूप में : समाज कार्य अभ्यासकर्ताओं के लिए मूल्यपरक मान्यताएं, सक्षमताएं और आचार संहिता । •
सिद्धान्त (थिअरी) : समाज कार्य अभ्यास के लिए सिद्धान्त (थिअरिज)। समाज कार्य अभ्यास का बदलता हुआ प्रसंगः
समाज कार्य अभ्यास से सम्बन्धित नवीन दृष्टिकोण, प्रवृत्तियां और चुनौतियां ।
विविध परिवेश में समाज कार्य अभ्यासः परिवार, बाल एवं युवा कल्याण, उद्योग, वृद्ध व्यक्तियों, दिव्यांग, पर्यावरण, महिला कल्याण, स्वास्थ्य देखभाल तथा आपदा प्रबंधन।
इकाई – II समाज, मानव व्यवहार और समुदाय
समाजशास्त्रीय संकल्पनाएं : सामाजिक संरचना, सामाजिक संस्थाएं तथा सामाजिक समूह समाजीकरण, सामाजिक नियंत्रण तथा सामाजिक परिवर्तन ।
समाज का अध्ययन करने के उपागमः प्रकार्यवादी, सघर्ष / द्वंद्वात्मक संरचनावाद तथा उत्तर – आधुनिकतावाद ।
सामाजिक व्यवस्थाएं और स्तरीकरणः प्रमुख सामाजिक व्यवस्थएं ( परिवार और धर्म), सामाजिक स्तरीकरणः मार्क्सवादी, प्रकार्यवादी तथा वेबरवादी उपागम ।
मानव व्यवहार : सामान्य तथा असामान्य व्यवहार के निर्धारक तत्व और मानव विकास का जीवनावधिपरक स्वरूपप्रसवपूर्व, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, बालकपन, तरूणाई, किशोरावस्था और वयस्कता के दौरान विकास नियत कार्य और संकट |
व्यक्तित्व के सिद्धान्तः व्यक्तित्व का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त, व्यवहारवादी सिद्धान्त तथा मानवतावादी सिद्धांत |
समाज–मनोविज्ञानः सामाजिक प्रत्यक्षण, अभिवृत्ति-निर्माण, परिवर्तन एवं मापन, संचार और सामूहिक व्यवहार के सिद्धांत |
समुदायों के प्रकारः ग्रामीण, नगरीय, जनजातीय तथा आभासी समुदाय और विविध असुरक्षित समूह/वर्ग जैसे महिलाएं, बच्चे, वृद्ध, दलित इत्यादि जाति और वर्ग इनके अभिलक्षण (विशेषताएं)
इकाई-III व्यक्तियों और समूहों के साथ समाज कार्य
वैयक्तिक समाज कार्य संबंधी मूलभूत संकल्पनाएं : सामाजिक भूमिकाएं, सामाजिक कार्य पद्धति, आवश्यकता निर्धारण, अनुकूलन, सामाजिक परिवेश, पर्सन-इन इन्वाअर्नमेंट-फिट, सिद्धांत और घटक।
वैयक्तिक समाज कार्य अभ्यास के उपागमः निदानात्मक तथा प्रकार्यात्मक उपागम, समस्या समाधान नियतकार्य–केन्द्रित तथा आमूल परिवर्तन परक उपागम।
वैयक्ति समाज कार्य की प्रक्रिया एवं प्रविधियां : वैयक्तिक समाज कार्य में हस्तक्षेप की अवस्थाएं, वैयक्ति समाज कार्य हस्तक्षेप की प्रविधियां, साक्षात्कार तथा वैयक्तिक अध्ययन अभिलेखन के सिद्धांत ।
सामूहिक समाज कार्य : परिभाषा, विशेषताएं, कार्य तथा समूह की संरचना, समूहों का वर्गीकरण तथा सामाजिक समूहों का गठन, पहचान, विविधता तथा पार्श्वीकरण के मुद्दे ।
सामूहिक समाज कार्य प्रक्रिया तथा समूह गतिकीः सिद्धांत (प्रिसिपुल्स), निर्धारक तत्व, संसूचक तथा नतीजे, निर्णयन तथा समस्या समाधान की प्रक्रिया, नेतृत्व के सिद्धांत (थिअरिज), समूह – नेताओं की भूमिकाएं एवं मूल्यांकन ।
वैयक्तिक समाज कार्य तथा सामूहिक समाज कार्य अभ्यास के कार्य स्थलः सेवार्थी समूह ता विविध परिवेश (बच्चे, सुधारपरक, स्वास्थ्य, महिलाएं, दिव्यांग व्यक्ति, वृद्ध व्यक्ति, दलित समूह, धार्मिक अल्पसंख्यक, समलिंगकामी पुरुष, समलिंगकामी स्त्री तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सुविधावंचित अन्य वर्ग ) ।
इकाई – IV समुदायों और सामाजिक क्रिया के साथ समाज कार्य
सामुदायिक संगठन : संकल्पना, परिभाषा, विषय क्षेत्र तथा भारत, यू.के. और यू.एस.ए. में एंतिहासिक परिदृश्य, समुदाय आधारित संगठनों की भूमिका, मानव पूंजी और सामाजिक पूंजी |
सामुदायिक संगठन की प्रक्रियाः सामुदायिक संगठन में निहित चरणविधियां, सिद्धान्त (प्रिंसिपुल्स), कौशल, पूर्वधारणाएं, अभिलेखों का रखरखाव, सामुदायिक संगठन में गैर सरकारी संगठनों को संयुक्त करना।
सामुदायिक संगठन अभ्यास में उपागमः प्रारूप (मॉडल्स), रणनीतियां, समुदाय आधारित संगठनों की भूमिका, नेतृत्व विकास और लीडर, भागीदारी और गठबंधन विकसित करना ।
सामाजिक किया और सामाजिक आंदोलन : संकल्पना, इतिहास, समाज कार्य की एक विधि के रूप में सामाजिक क्रिया ।
सामाजिक आंदोलनः उद्भव, प्रकृति, आंदोलनों के प्रकार, आंदोलनों और नवीन सामाजिक आंदोलनों के सिद्धांत (थिअरिज ) ।
सामाजिक आंदोलन, सामाजिक किया तथा सामाजिक परिवर्तनः आंदोलन विश्लेषणविचार पद्धति, संरचना, नेतृत्व प्रक्रिया और परिणाम, गांधी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर तथा फ्रेंस फेनन की विचार पद्धति तथा दृष्टिकोण |
इकाई-V समाज कार्य में शोधः मात्रात्मक तथा गुणात्मक उपागम
खण्ड A : मात्रात्मक शोध सामाजिक विज्ञान शोध का मूलाधारः शोध का अर्थ, सामाजिक विज्ञान तथा समाज कार्य शोधः अर्थ प्रकृति और विषय क्षेत्र
सामाजिक विज्ञान शोध में निहित चरण : शोध समस्या की पहचार और निरूपणसाहित्य समीक्षा, उद्देश्य तथा परिकल्पना निरूपण, शोध अभिकल्पनमूना अभिकल्प, स्रोत, डाटा संग्रहण की विधियां और उपकरण, तथ्य प्रक्रमण और विश्लेषण, प्रस्तुतीकरण तथा संदर्भ-लेखन की शैली सहित शोध प्रतिवेदन लेखन, उद्धरण देने का कार्य तथा कथित-कथन (पैराफैजिंग) ।
आधारभूत सांख्यिकीय संकल्पनाएंः सांख्यिकीय अन्वेषण की प्रक्रिया तथा वर्णनात्मक और अनुमानिक सांख्यिकीय विधियां, पैरामीट्रिक तथा नॉन पैरामीट्रिक टेस्ट।
खण्ड B:
गुणात्मक शोध गुणात्मक शोधः अर्थ, गुणात्मक शोध के बुनियादी जडसूत्र सामज कार्य में मात्रात्मक तथा गुणात्मक शोध उपागम के मध्य अंतर ।
गुणात्मक शोध अभिकल्पः चरण, गुणात्मक शोध की विधियां (क्षेत्र – अध्ययन, वैयक्तिक अध्ययन, फोकस समूह चर्चा, इतिवृत्त विवरण प्रेक्षण और सैद्धांतिक शोध)।
गुणात्मक आंकडा प्रबंधनः गुणात्मक आंकड़ों के विश्लेषण की क्रियाविधि और प्रविधि तथा प्रतिवेदन लेखन ।
खण्ड C:
शोध की मिश्रित विधिः मिश्रित विधि के संघटक, मात्रात्मक तथा गुणात्मक शोध के संयोजन की क्रियाविधि ।
इकाई-VI
प्रशासन, कल्याण और विकास सेवाएं
समाज कल्याण प्रशासनः अर्थ इतिहास, सिद्धांत (प्रिंसिपुल्स), प्रकृति तथा संगठनों के प्रकार।
इकाई-VII सामाजिक नीति, नियोजन तथा समाजिक विकास
सामाजिक नीतिः सामाजिक नीति की संकल्पना, लक्ष्य, विषय क्षेत्र, सन्दर्भ और प्रारूप (मॉडल्स) तथा भारतीय संदर्भ में प्रयोजनीयता ।
ऐतिहासिक विकासः विभिन्न नीतियों का उद्विविकास एवं ऐतिहासिक स्वरूप, विशेष रूप से समाज के उपांतीय तथा असुरक्षित वर्गों के लिए सामाजिक नीतियों का कार्यान्वयन।
नीति निरूपण की प्रक्रियाः निर्धारक तत्व एवं चरण, सामाजिक नीति निरूपण के उपागम, देश में बदलते हुए राजनीतिक परिदृश्य का प्रभाव ।
सामाजिक नियोजनः संकल्पना, विषय क्षेत्र प्रारूप (मॉडल्स), सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन के बीच अंतर्सम्बंध, भारत में सामाजिक नियोजन ।
पंचवर्षीय योजनाएं : पंचवर्षीय योजनाओं के साथ भारत में सामाजिक नियोजना में परिवर्तन, सामाजिक नियोजन और सामाजिक परिवर्तन भारत में विकास के नियोजन को प्रेरित करने वाले कारक, नीति आयोग की भूमिका और कार्य।
सामाजिक विकासः सामाजिक विकास के सकारात्मक और नकारात्मक आयाम; संकल्पना प्रारूप (मॉडल्स) तथा सिद्धांत ( थियरिज), भारत में विकास का ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ
धारणीय विकासः संकल्पना, रणनीतियां, निर्णायक मुद्दे, समाजिक विकास के विशिष्ट लक्षण, समाजिक विकास के उपागम; समानताएं तथा भिन्नताएं । रणनीतिक विकासपरक लक्ष्य, नीतियों एवं कार्यक्रमों के लिए मानव विकास सूचकांक तथा संकेतक ।
इकाई—IX समाज कार्य अभ्यास के क्षेत्र – I
(स्वास्थ्य की देख-भाल से संबंधित समाज कार्य अभ्यास, वयोवद्ध व्यक्तियों और दिव्यांग, महिलाओं और पुरूषों से संबंधित समाज कार्य, श्रम कल्याण, औद्योगिक संबंध, कार्मिक प्रबंधन तथा मानव संसाधन प्रबंधन)
चिकित्सकीय समाज कार्य तथा मनोचिकित्सकीय समाज कार्य : संकल्पना, उद्विकासचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका, कार्य / उत्तरदायित्व
मानसिक स्वास्थ्य और रोग : सामान्य तथा असामान्य व्यवहार, महामारी विज्ञान, हैतुकी, प्रकार, मनोभाजन, मनोदशा विकास, तंत्रिका विक्षिप्तता, तनाव से जुड़े विकार, सोमाटोफार्म विकार, बाल और किशोरों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित अधिनियम।
जरण और रोग के चपेटे में आने से संबंधित सिद्धांतः जरण के मनोवैज्ञानिक तथा समाजशास्त्रीय सिद्धांत (थिअरिज), वयोवृद्ध व्यक्तियों की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, शारीरिक आवश्यकताएं और समस्याएं। उपेक्षादुर्व्यवहार, हिंसा और परित्याग के विरूद्ध व्यक्तियों के अधिकार तथा समाज कार्य हस्तक्षेप।
दिव्यांग व्यक्तिः दिव्यांगता के प्रारूप (मॉडल्स), दिव्यांग आंदोलन – ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, कल्याणकारी से लेकर अधिकार – आधारित उपागम से संबंधित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीलस्तम्भ, विधिक उपाय तथा समाज कार्यपरक हस्तक्षेप ।
लिंग और विकास : शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्पत्ति, रोजगार तथा जीविका के क्षेत्र में लिंग भेद की अभिव्यक्ति, निर्णयन, गरीबी का नारीकरण तथा लिंग आधारित हिंसा का प्रकटन, संवैधानिक तथा विधायी सुरक्षोपाय एवं समाज कार्यपरक हस्तक्षेप ।
श्रम कल्याण एवं मानव संसाधन प्रबंधन ( एच आर एम ) : समाज की उप-व्यवस्था के रूप में औद्योगिक विकास की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, श्रम कल्याण की संकल्पना, प्रकृति, उद्देश्य, सिद्धांत (प्रिंसिपुल्स), सिद्धांत (थिअरिज), श्रम कल्याण के सिद्धांत (प्रिंसिपुल्स), श्रम संबंधी विधि-निर्माण मानव संसाधन प्रबंधनः सिद्धांत (थिअरिज), प्रारूप (मॉडल्स), उप प्रणालियां, मानव संसाधन विकास (एच आर डी)–कार्य निष्पादन प्रबंधन प्रणाली, प्रकार, सिक्स सिग्मा, आइ एस ओ, संपूर्ण गुणवत्ता प्रबंध्न, कार्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सी एस आर ) – संकल्पना, मुद्दे, व्यवहार, प्रारूप (मॉडल्स), संघटक, उपागम तथा कार्पोरेट अभिशासन।
कार्मिक प्रबंधन तथा औद्योगिक संबंध : संकल्पना, औद्योगिक संबंध की परिभाषा, उद्देश्य, विषय क्षेत्र, कार्य, निर्धारक तत्व तथा औद्योगिक संबंध परावर्तक, औद्योगिक संबंध प्रारूप (मॉडल्स), वैश्तीकरण तथा उद्योग, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आइ एल ओ ) भूमिकाकार्य; सामूहिक सौदेबाजी, प्रदत्त-कार्य विश्लेषण, जनशक्ति नियोजन, संगठन व्यवहार तथा संगठन विकास हस्तक्षेप ।
इकाई-X समाज कार्य अभ्यास के क्षेत्र – II
(सामाजिक प्रतिरक्षा और सुधारपरक सेवाएं, परिवारों और बच्चों के साथ समाज कार्य, समाज कार्य और आपदा प्रबंधन) सामाजिक प्रतिरक्षाः संकल्पना, दर्शन और बदलते आयाम, देख-भाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे, कानून के साथ संघर्षरत में किशोर, गली-कूचों के और श्रमजीवी बच्चों और बाल अपराधी, परिवीक्षा (प्रोबेशन और पैरोल । सामाजिक प्रतिरक्षा में उदीयमान मुद्दे
अधिनियम और आपराधिक न्याय प्रणाली : किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण ) अधिनियम, 2000, अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1986, अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958, भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1986, कारागार अधिनियम, तथा आपराधिक न्याय व्यवस्था ।
परिवारों के साथ समाज कार्य : कार्य, विकासात्मक अवस्थाएं तथा परिवार अभिरचना, परिवार गतिकी और परिवार की कार्य पद्धति संबंधी सैद्धान्तिक प्रारूप (मॉडल्स) (सरकमफ्लैक्स मॉडल, मैक मास्टर मॉडल और स्ट्रक्चरल मॉडल) तथा समाज कार्य हस्तक्षेप ।
बाल विकास : संकल्पनादर्शन तथा ऐतिहासिक संदर्भभारत में बच्चों की स्थिति- जनांकिकीय पार्श्वचित्र (प्रोफाइल) शिक्ष और सुरक्षा ।
बच्चों के लिए नीतियां और कार्य क्रमः संवैधानिक प्रावधान, राष्ट्रीय बाल नीति, अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य तथा बच्चों के अधिकारों पर यू एन कंवंशन, कन्या भ्रूणहत्या, दत्तकग्रहण, प्रतिपालक देखभाल, संरक्षणकर्ता तथा बाल विवाह और समाज कार्य हस्तक्षेप से संबंधित कार्यक्रम तथा वैधानिक उपाय।
पर्यावरण और समाज कार्य : कारण और परिणाम, महिलाओं, गरीबों, उपान्त समूह तथा स्थानीय बादी पर विभेदक प्रभाव । मानव अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण । पर्यावरणीय आंद और पर्यावरण के प्रबंधन, संरक्षण और संवर्धन में समाज कार्य हस्तक्षेप ।
समाज कार्य और आपदा प्रबंधन : आपदा संबंधी संकल्पना तथा परिभाषाएं, खतरा, जोखिम, अरक्षितता और आपदा, प्राकृतिक और मानव – रचित आपदाओं के विभिन्न रूप, आपदा का प्रभाव और आपदा प्रबंधन में पहल, आपदा से पहले और बाद में हस्तक्षेप ।
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